जब किसी स्त्री-पुरुष को परखना हो तो ऐसे परखें
यदि आप भी आपके आसपास के लोगों में कोई इंसान अच्छा है या नहीं यह जानना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य की यह नीति अपनाएं...
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आचार्य कहते हैं कि...
अग्निताप घसि काटि पिटि, सुवरन लख विधि चारि।
त्याग शील गुण कर्म तिमि, चारिहि पुरुष विचारि।।
इस दोहे के अनुसार किसी व्यक्ति को परखने के कुछ खास बातों पर ध्यान
देना चाहिए। जिस प्रकार सोने को रगड़ा जाता है, काटा जाता है, तपाया जाता
है और पीटा जाता है, तब ही होती है सोने की सही पहचान। शुद्ध सोने की परख
केवल देख नहीं की जा सकती है। इसके लिए पूरी विधि का पालन करना होता है।
ठीक इसी प्रकार इंसान के संबंध में कुछ बातों को ध्यान रखना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सोना असली है या नकली, इसकी पहचान करने के लिए
उसे कठीन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। सोने को घिसकर, काटकर, तपाकर और
पीटकर ही उसकी परख होती है। ठीक इसी प्रकार किसी इंसान परखने के लिए उसके
चार गुणों को मुख्य रूप से देखना चाहिए। ये गुण हैं व्यक्ति की त्याग
क्षमता, शील, गुण और कर्म।
व्यक्ति की अच्छाई का पता लगाने के लिए सबसे पहले उसकी त्याग क्षमता देखना
चाहिए। यदि वह व्यक्ति किसी के लिए कुछ त्यागने में संकोच नहीं करता है,
यदि उसके चरित्र अच्छा है, उसके गुण अच्छे हैं और अन्य लोगों के प्रति उसका
आचरण अच्छा है तो नि:सदेह ऐसे लोग अच्छे इंसान होते हैं।
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