Wednesday 29 May 2013

केमद्रुम योग - Kemadruma Yoga

            केमद्रुम योग - Kemadruma Yoga 



image Kemadruma Yoga
केमद्रुम योग (Kemadruma Yoga) इतना अनिष्टकारी नहीं होता जितना कि वर्तमान समय के ज्योतिषियों ने इसे बना दिया है. व्यक्ति को इससे भयभीत नहीं होना चाहिए क्योंकि यह योग व्यक्ति को सदैव बुरे प्रभाव नहीं देता अपितु वह व्यक्ति को जीवन में संघर्ष से जूझने की क्षमता एवं ताकत देता है, जिसे अपनाकर जातक अपना भाग्य निर्माण कर पाने में सक्षम हो सकता है और अपनी बाधाओं से उबर कर आने वाले समय का अभिनंदन कर सकता है.
केमद्रुम योग ज्योतिष में चंद्रमा से निर्मित एक महत्वपूर्ण योग है. वृहज्जातक में वाराहमिहिर के अनुसार यह योग उस समय होता है जब चंद्रमा के आगे या पीछे वाले भावों में ग्रह न हो अर्थात चंद्रमा से दूसरे और चंद्रमा से द्वादश भाव में कोई भी ग्रह नहीं हो.


ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र को मन का कारक कहा गया है. सामान्यत: यह देखने में आता है कि मन जब अकेला हो तो वह इधर-उधर की बातें अधिक सोचता है और ऎसे में व्यक्ति में चिन्ता करने की प्रवृति अधिक होती है.  इसी प्रकार के फल केमद्रुम योग देता है.


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केमद्रुम योग कैसे बनता है (How is Kemadruma Yoga formed?)
यदि चंद्रमा से द्वितीय और द्वादश दोनों स्थानों में कोई ग्रह नही हो तो केमद्रुम नामक योग बनता है या चंद्र किसी ग्रह से युति में न हो या चंद्र को कोई शुभ ग्रह न देखता हो तो कुण्डली में केमद्रुम योग बनता है. केमद्रुम योग के संदर्भ में छाया ग्रह राहु केतु की गणना नहीं की जाती है.

इस योग में उत्पन्न हुआ व्यक्ति जीवन में कभी न कभी दरिद्रता एवं संघर्ष से ग्रस्त होता है. इसके साथ ही साथ व्यक्ति अशिक्षित या कम पढा लिखा, निर्धन एवं मूर्ख भी हो सकता है. यह भी कहा जाता है कि केमदुम योग वाला व्यक्ति वैवाहिक जीवन और संतान पक्ष का उचित सुख नहीं प्राप्त कर पाता है. वह सामान्यत: घर से दूर ही रहता है. परिजनों को सुख देने में प्रयास रत रहता है. व्यर्थ बात करने वाला होता है. कभी कभी उसके स्वभाव में नीचता का भाव भी देखा जा सकता है.

केमद्रुम योग के शुभ और अशुभ फल (What is the result of Kemadruma Yoga)
केमद्रुम योग में जन्‍म लेनेवाला व्‍यक्ति निर्धनता एवं दुख को भोगता है. आर्थिक दृष्टि से वह गरीब होता है.  आजिविका संबंधी कार्यों के लिए परेशान रह सकता है. मन में भटकाव एवं असंतुष्टी की स्थिति बनी रहती है.  व्‍यक्ति हमेशा दूसरों पर निर्भर रह सकता है. पारिवारिक सुख में कमी और संतान द्वारा कष्‍ट प्राप्‍त कर सकता है. ऐसे व्‍यक्ति दीर्घायु होते हैं.

केमद्रुम योग के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह योग संघर्ष और अभाव ग्रस्त जीवन देता है.  इसीलिए ज्योतिष के अनेक विद्वान इसे दुर्भाग्य का सूचक कहते हें. परंतु लेकिन यह अवधारणा पूर्णतः सत्य नहीं है.  केमद्रुम योग से युक्त कुंडली के जातक कार्यक्षेत्र में सफलता के साथ-साथ यश और प्रतिष्ठा भी प्राप्त करते हैं. वस्तुतः अधिकांश विद्वान इसके नकारात्मक पक्ष पर ही अधिक प्रकाश डालते हैं. यदि इसके सकारात्मक पक्ष का विस्तार पूर्वक विवेचन करें तो हम पाएंगे कि कुछ विशेष योगों की उपस्थिति से केमद्रुम योग भंग होकर राजयोग में परिवर्तित हो जाता है. इसलिए किसी जातक की कुंडली देखते समय केमद्रुम योग की उपस्थिति होने पर उसको भंग करने वाले योगों पर ध्यान देना आवश्यक है तत्पश्चात ही फलकथन करना चाहिए.



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केमद्रुम योग का भंग होना (How is Kemadruma yoga cancelled?)
जब कुण्डली में लग्न से केन्द्र में चन्द्रमा या कोई ग्रह हो तो केमद्रुम योग भंग माना जाता है.  योग भंग होने पर केमद्रुम योग के अशुभ फल भी समाप्त होते है.  कुण्डली में बन रही कुछ अन्य स्थितियां भी इस योग को भंग करती है, जैसे चंद्रमा सभी ग्रहों से दृष्ट हो या चंद्रमा शुभ स्‍थान में हो या चंद्रमा शुभ ग्रहों से युक्‍त हो या पूर्ण चंद्रमा लग्‍न में हो या चंद्रमा दसवें भाव में उच्‍च का हो या केन्‍द्र में चंद्रमा पूर्ण बली हो अथवा कुण्डली में सुनफा, अनफा या दुरुधरा योग बन रहा हो, तो केमद्रुम योग भंग हो जाता है. यदि चन्द्रमा से केन्द्र में कोई ग्रह हो तब भी यह अशुभ योग भंग हो जाता है और व्यक्ति इस योग के प्रभावों से मुक्त हो जाता है.

कुछ अन्य शास्त्रों के अनुसार- यदि चन्द्रमा के आगे-पीछे केन्द्र और नवांश में भी इसी प्रकार की ग्रह स्थिति बन रही हो तब भी यह योग भंग माना जाता है. केमद्रुम योग होने पर भी जब चन्द्रमा शुभ ग्रह की राशि में हो तो योग भंग हो जाता है. शुभ ग्रहों में बुध्, गुरु और शुक्र माने गये है. ऎसे में व्यक्ति संतान और धन से युक्त बनता है तथा उसे जीवन में सुखों की प्राप्ति होती है.

केमद्रुम योग की शांति के उपाय (Remedies for Kemadruma Yoga)
केमद्रुम योग के अशुभ प्रभावों को दूर करने हेतु कुछ उपायों को करके इस योग के अशुभ प्रभावों को कम करके शुभता को प्राप्त किया जा सकता है. यह उपाय इस प्रकार हैं-

सोमवार को पूर्णिमा के दिन अथवा सोमवार को चित्रा नक्षत्र के समय से लगातार चार वर्ष तक पूर्णिमा का व्रत रखें.

सोमवार के दिन भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाएं व पूजा करें.  भगवान शिव ओर माता पार्वती का पूजन करें. रूद्राक्ष की माला से शिवपंचाक्षरी मंत्र " ऊँ नम: शिवाय" का जप करें ऎसा करने से  केमद्रुम योग के अशुभ फलों में कमी आएगी.

घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करके नियमित रुप से श्रीसूक्त का पाठ करें.  दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर उस जल से देवी लक्ष्मी की मूर्ति को स्नान कराएं तथा चांदी के श्रीयंत्र में मोती धारण करके उसे सदैव अपने पास रखें  या धारण करें. 

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